अनुसूचित जाति-जनजाति और पिछड़ा वर्ग वित्त विकास निगम के स्थान पर होगा एक निगम

मुख्य सचिव वीरा राणा की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस संबंध में कार्ययोजना तैयार करने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में समिति गठित की जा रही है।

मध्य प्रदेश में अनुसूचित जाति-जनजाति और पिछड़ा वर्ग के युवाओं को स्वरोजगार के लिए पूंजी की व्यवस्था कराने वाले वित्त विकास निगमों का स्वरूप अब बदल जाएगा। तीन अलग-अलग निगमों को एक किया जाएगा। दरअसल, तीनों का काम एक ही है। तीनों बैंकों को अभ्यर्थियों के आवेदन अग्रेषित करते हैं और अनुदान देते हैं।

मुख्य सचिव वीरा राणा की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस संबंध में कार्ययोजना तैयार करने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में समिति गठित की जा रही है। प्रदेश में अनुसूचित जाति-जनजाति और पिछड़ा वर्ग के युवाओं को प्रोत्साहित करने और उनकी आर्थिक तौर पर मदद करने के लिए सरकार ने आर्थिक कल्याण योजना लागू की हैं।

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10 हजार से एक लाख रुपये तक आर्थिक सहायता की जाती है

जबकि, स्वरोजगार योजना में 50 लाख रुपये तक ऋण दिलाया जाता है। इस राशि पर लगने वाले ब्याज का आधे से अधिक भार सरकार अनुदान के रूप में उठाती है। शिवराज सरकार ने इस व्यवस्था को और अच्छा बनाने के लिए मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना लागू की थी।

ऋण पर तीन प्रतिशत प्रतिवर्ष ब्याज अनुदान सात वर्ष तक देने के लिए प्रविधान है

अनुसूचित जाति-जनजाति वित्त विकास निगम द्वारा दो प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज अनुदान दिया जाता है। पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि केंद्र सरकार से कम ब्याज दर पर लंबी अवधि के लिए राशि मिल जाती है। केंद्र सरकार की विभिन्न योजना के माध्यम से वैसे ही राशि दिलाई जा रही है।

ऐसे में अलग-अलग के स्थान पर एक व्यवस्था होने से अधिक लाभ दिलाया जा सकता है। इससे स्थापना व्यय भी घटेगा और निगरानी करना भी आसान होगा। उल्लेखनीय है कि सरकार ने बजट में मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना अधिक प्रभावी और व्यापक बनाने की घोषणा की है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग इसकी तैयारी कर रहा है।

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