इंदौर
भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गिया और सांसद शंकर लालवानी और अन्य सार्वजनिक प्रतिनिधियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने 23 -वर्ष के मामले में पंजीकृत निजी शिकायत को खारिज कर दिया है। यह मामला इंदौर में पिपलैना तालाब विकसित करने से संबंधित था, जिसमें इन नेताओं पर अनियमितताओं का आरोप लगाया गया था।
यह मामला था
यह मामला 2001-2002 का है, जब कैलाश विजयवर्गिया इंदौर के मेयर थे, और शंकर लालवानी, रमेश मेंडोला, मधु वर्मा और उमाशशी शर्मा मेयर काउंसिल के सदस्य थे। यह आरोप लगाया गया था कि होलकर घर की कुछ भूमि का अधिग्रहण किया गया था और नवरतनबाग में कीमती भूमि दी गई थी, जिससे राज्य के राजकोष को नुकसान हुआ था। एडवोकेट आनंद अग्रवाल, जिन्होंने मामले में एक निजी शिकायत दर्ज की थी, ने इन सार्वजनिक प्रतिनिधियों के खिलाफ आरोप लगाए थे। यह मामला पहले जिला अदालत में गया और फिर उच्च न्यायालय में पहुंचा, जहां उच्च न्यायालय ने पूर्व मेयर उमश्शी शर्मा के खिलाफ आदेश को बरकरार रखा।
अब मामले में कोई कानूनी कार्रवाई नहीं
शिकायतकर्ता ने तब सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सरकार की स्वीकृति सार्वजनिक प्रतिनिधियों पर मुकदमा चलाने के लिए आवश्यक है। अदालत ने निचली अदालतों के फैसले में कोई गलती नहीं की और शिकायत को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने कैलाश विजयवर्गिया, शंकर लालवानी, रमेश मेंडोला और अन्य जन प्रतिनिधियों को बड़ी राहत दी है। इस 23 -वर्ष के मामले में कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी।